Sunday, 19 July 2015

NET NEUTRALITY

नेट न्यूट्रेलिटी

 हमारे पास मोबाइल हैं और इसमें इंटरनेट कनेक्शन

भी ले रखा है। अब तक हम इंटरनेट के लिए टेलीकॉम

कंपनी को पैसे देते आ रहे है। पैसे देने के बाद ही हम

व्हाट्सएप, फेसबुक, क्विकर, स्नैपडील, गुगल, यू-ट्यूब

आदि जैसी ढ़ेरों सारे इंटरनेट सेवा इस्तेमाल कर पाते है,

हर सेवा कि स्पीड लगभग समान होती है। और हर

सेवा का अलग-अलग पैसा नहीं देना पड़ता है, इसे ही

नेट न्यूट्रेलिटी(नेट समानता) कहते हैं। जिससें हमारे

पास इंटरनेट चलाने का पूरी आजादी होती है। अगर हम

एक बार इंटरनेट कनेक्शन ले लिया तो हर सेवा एक ही

स्पीड में यूज कर सकते है।

लेकिन अब कुछ टेलीकॉम कंपनियां इंटरनेट की आजादी

नए तरह से पेश करना चाहती है, जिसमें कुछ सेवाएं

मुक्त हो सकती है, तो कुछ को अलग से पैसे भी देना

पड़ सकता है। और टेलीकॉम कंपनियां कुछ सेवाएं के

लिए ज्यादा स्पीड तो कुछ के लिए कम स्पीड का

अधिकार भी अपने पास रखना चाहती है, और इसके

लिए हमें अलग से भूगतान करना पड़ सकता है।

यह शब्द कोलंबिया विश्वविद्धालय के मीडिया विधि के

प्राध्यापक टिम वू द्वारा 2003 में प्रथम बार उपयोग

किया गया था।https://www.blogger.com/blogger.g?blogID=7756609958383221478#editor/target=post;postID=8770743923121632538;onPublishedMenu=posts;onClosedMenu=posts;postNum=0;src=postname

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