टिप-टिप बरसा पानी, पानी में आग लगाई,
बारिश की भीगी रातों में फिर सुहानी याद आई,
कुछ अपना ज़माना याद आया कुछ उनकी ज़वानी याद आई।
क्या सहीं लाईन है यार जब बारिश का मौसम हो तो सबके दिल को
यहीं याद आता हैं.
जब
पेड़-पौधे, पशु-पक्षी या यूं कहे कि पूरा जन-जीवन गर्मी से बेहाल होता हैं. और
उसमें उन्हें काली घनघोर घटाएं दिख जाए और ठंडी पुरवाई से कपकपाते हुए फुलों की
लताओं पर थोड़ा बारिश का बौछार पड़ जाए तो वो लताएं अपनी खूबसूरत कलियों के साथ
पेड़ों की शाखाओं में लिपट जाती हैं. और चारों तरफ हरियाली
ही हरियाली छा जाती हैं. मानों बरसात ने प्रकृति के ख़ूबसूरती में नया
रंग भर दिया हो।
जब मौसम अपनी करवट
बदलता हैं तो अपनी बूंदों से ठिठोलियाँ करते हुए बरसात आता है. ऐसा लगता है जैसे
इसके बूंदो ने सुर लगाने शुरु कर दिये हो. और चारों तरफ सहनाईयां सी बजने लगी हो. लेकिन
एक बात तो हैं इस मौसम की जब ये अपना सुहाना सा आँचल लहराती हैं तो उस आँचल तले
पुरी दुनीया झुम उठती हैं।
पहली
बारिश का इंतजार किसे नहीं होता चाहे एक अमीर हो या गरीब किसान हो या प्रेमी
जोड़ा.....
‘एक
ख़ाब ने आँखे खोली है, क्या मोड़ आया है कहानी में, वो भीग रही है बारिश में और आग
लगी है पानी में’
क्या आपको पता हैं कि पहली बारिश का इंतजार सबसे ज़्यादा किसको होता हैं?...... जी हाँ आपने सही समझा बच्चों को, क्योंकि बच्चे
बरसात के पानी में खेलते हैं, सरारत करते हैं, काग़ज की क़श्तियाँ छोड़ते हैं और
अंदर से मां की आवाज़ आती हैं बेटा पानी में मत भीग बीमार हो जाएगा.
ये शायरी और गाना उन
प्रेमीकाओं के लिए जिनको बारिश के मौसम में अपने प्रेमी का आने का इंतजार रहता
हैं,
बारिश का मौसम बहुत
तड़पाता है, उनकी याद आती है जिन्हें दिल चाहता है.
लेकिन वो आए भी तो
कैसे, ना उनके पास रेन कोट है ना ही छाता।
‘ए बारिश ज़रा थमके बरस, जब मेरा यार आए तो जमके
बरस,
पहले ना बरस की वो आ
ना सके, फिर इतना बरस की वो जा ना सकें।’
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